किसी महापुरुष ने कहा कि
"माफ करना तो सरल है लेकिन माफी माँगना सरल नहीं है।"
हमें माफ करना आता है ये अच्छी बात है मगर हमें माफी माँगना भी आना चाहिए ये उससे भी अच्छी बात है।
पारिवारिक जीवन में , मैत्री जीवन में या सामाजिक जीवन में संबंधों को मजबूत और मधुर बनाने हेतु किसी भी व्यक्ति के अंदर इन दोनों गुणों में से एक गुण की प्रमुखता अवश्य होनी ही चाहिए।
महाभारत की नींव ही इस सूत्र के आधार पर पड़ी कि किसी के द्वारा माफ नहीं किया गया तो किसी के द्वारा माफी नहीं मांगी गई।
हमारा जीवन एक नयें महाभारत से बचकर आनंद में व्यतीत हो इसके लिए आज बस एक ही सूत्र काफी है और वो है माफ - कर दो या माफी माँग लो!
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