33 कोटि मुख्य देवता
हम सभी सुनते आ रहे हैं की हमारे हिन्दू धर्म में ३३ करोड़ देवता हैं , लेकिन हमारे मुख्य देवता ३३ कोटि हैं , कोटि का अर्थ यहाँ प्रकार से हैं , यह सभी वेदोवत देवता भी कहलाते हैं, यह एक हजार युग के अनन्तर पुनः पुनः अपनी इच्छा अनुसार जन्म लेते रहते हैं।
12 आदित्य [अदिति के पुत्र (अदिति दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं )]
धाता
मित्र
अर्थमा
शक्र
वरुण
अंश
भग
विवस्वान
पूषा
सविता
त्वष्टा
विष्णु
11 रूद्र (स्थाणु के पुत्र ) [स्थाणु ब्रह्मा जी के मानस पुत्रो में से एक हैं ]
मृग व्याध
सर्प
निष्ठति
अजैकपाद
अक्षिबुह्नथ
पिनाकी
दहन
ईश्वर
कपाली
स्थाणु (पिता का भी यही नाम था )
भव
8 वसु
धर
ध्रुव
सोम
अह (सवित्र)
अनल
अनिल
प्रत्यक्षु
प्रभास
यहाँ तक 31 हुए अब दो में अलग विद्वानो द्वारा अलग अलग बताया गया हैं
किसी के मत से प्रजापति और इंद्र हैं
और अन्य मत के अनुसार दोनों अश्वनी कुमार हैं
2 अश्वनी कुमार
नासत्य
दस्त्र
यह सभी संक्षित महाभारत से लिए गए हैं व् अन्य पुराणों के आधार पर बदलाव किये हैं ,
इन सभी को पोस्ट करने का उद्देश्य नयी पीढ़ी को हमारे ग्रंथो का ज्ञान देना हैं ,
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