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Dashrath Manjhi

एक कहानी माउंटेन  मेन की 

जी हा दोस्तों हम आज बताने जा रहे माउंटेन मैन की कहानी .







उन्होंने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर, अकेले ही 360 फीट लंबी 30 फीट चौड़ी और 25 फीट  ऊँचे पहाड़ को काट के 22 वर्षो में एक सड़क बना डाली।
और 55 KM की दूरी को मात्र 15 KM ही कर दिया

हम बात कर रहे हैं दशरथ मांझी  की 

14 जनवरी1929 में बिहार के गया डिस्ट्रिक्ट में एक छोटे से गांव गहलौर में  उनका जन्म  हुआ

उन्होने  सात साल तक धनबाद में एक कोयला खदान में काम भी किया, उनका कम उम्र में ही विवाह हो गया था, 

उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी जी को रोज 3 KM  पहाड़ पार चढ़ कर पानी लाना पड़ता था और एक बार वे पानी लाते  वक़्त पहाड़ से गिर गई और उन्हें प्रॉपर मेडिकल केयर न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो गई |

और उनकी मृत्यु के बाद दशरथ जी ने ठान  लिया की में इस पहाड़ को झुका के ही रहूँगा और किसी व्यक्ति के साथ ऐसा न हो इसलिए उन्होंने अकेले ही छेनी और हतोड़ि से पहाड़ की कटाई शुरू कर दी|  

करीबन 22 वर्षों (1960-1982) के परिश्रम के बाद दशरथ जी की बनाई सड़क ने  वजीरगंज ब्लॉक की दुरी को 55 KM से 15 KM कर दिया

आज इस सड़क का उपयोग कई गांव वाले कर रहे हैं, साथ थी अन्य गांव के लोग भी इसी सड़क का उपयोग करते हैं

उनका कहना था  की जब मैने यह कार्य करना स्टार्ट किया तो गांववालों ने शुरू में कहा कि मैं पागल हो गया हूं, लेकिन उनके तानों ने मेरा हौसला और बढ़ा दिया'.


17 अगस्त 2007 में 78 साल की उम्र में  कैंसर से पीड़ित  होने के कारण इनका निधन हो गया।

2012 में उनके इस संघर्ष पर  एक  (डाक्यूमेंट्री) फिल्म "द मैन हु मूव्ड अ  माउंटेन" भी बनी हैं

2014 में प्रसारित टीवी शो सत्यमेव जयते का सीजन 2 का पहला एपिसोड दशरथ माँझी को समर्पित किया गया

26 दिसंबर 2016 को भारतीय डाक ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।



एक व्यक्ति तो चला गया लेकिन अपने कार्यो से अपने आप को अमर कर गया और आने वाली पीढ़ी को यह बता गया की यदि किसी काम को ठान लिया जाये तो हम नामुमकिन कार्य को भी कर सकते हैं 

हमें हमारे जीवन में हमेशा लक्ष्य बना  कर उसी लक्ष्य पर कार्य करना चाहिए, यदि लक्ष्य नहीं बनाया जाता हैं तो हमारी स्तिथि बिना एड्रेस के लिफाफे जैसी होती हैं 

इसलिए लक्ष्य जरूर बनाये

धन्यवाद्

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