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Medical Equipment Bank Indore

श्री बालाजी सेवा संस्थान  जीवन रक्षक मेडिकल इक्यूपमेंट बैंक  138, लक्ष्मी अपार्टमेंट, भगवानदीन नगर, सपना संगीता के पीछे, इंदौर (मध्यप्रदेश) फ़ोन : 0731-3582702, 7722908284, 9827031550   दोस्तों यदि आपके कोई रिश्तेदार या घर पर किसी को मेडिकल इक्यूपमेंट की जरुरत हो और आप उसे खरीदना नहीं चाहते तो आप को वह इक्युमेंट यहाँ पर किराये पर मिल जायेगा।  बालाजी सेवा संस्थान  द्वारा यह अच्छी पहल हैं ,  मुझे अपने व्हाट्सप पर इनके बारे में जानकारी मिली हैं  इनके पास फोल्डिंग पलंग, व्हील चेयर, ऑक्सीजन मशीन, ऑक्सीजन सिलेंडर, सक्शन मशीन, छड़ी, वॉकर, वायपेप मशीन उपलब्ध हैं ,  इन सब का मशीन के हिसाब से प्रतिदिन का अलग - अलग सेवा शुल्क हैं, तथा आपको कुछ राशि सिक्योरिटी के रूप में जमा भी करनी होगी।  Folding bed, Wheelchair, Oxygen Machine, Oxygen Cylinder, Suction Machine, Rod, Walker, Wipe Machine Etc.
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Mind Programming

दोस्तों इस सत्य घटना से हम यह जान पाएंगे की हम हमारे माइंड की प्रोग्रामिंग किस तरह करते हैं जो हमें खुद को भी पता नहीं होती, यदि हमने इस लॉजिक को समझ लिए तो हम हर वो कार्य हमारे माइंड से करवा लेंगे जो करवाना चाहते हैं।  भाग एक   बात उस समय की हैं जब मेरा एक कलीग अपनी तबियत ठीक न होने के कारण  मुझसे घर जाने की परमिशन लेने आया था,  मेने उसे अपने पास बिठाया और पूछा "क्या हो  रहा हैं ?" उसने बताया की "हाथ पैर दर्द कर रहे हैं , ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा हु , और कोई काम भी नहीं कर पा रहा हु, इससे अच्छा हैं की   में घर जा कर आराम कर लू,", सच में उसके चेहरे से भी वो थका हुआ लग रहा था, ठीक से चल भी नहीं पा रहा था।  मेने बोला की "मैं  किसी को बोलता हु वो घर छोड़ देगा"   बस हमारी बात यहाँ समाप्त हुई और वह बंदा  ऑफिस से घर के लिए निकल गया।  जैसा उस बन्दे की माइंड ने प्रोग्रामिंग की थी वैसे ही उसकी बॉडी रिस्पॉन्ड कर रही थी    यानि जैसा उसका माइंड सोच रहा था वैसा वो होता जा रहा था। हम सुनते भी आ रहे हैं पुराने समय से की "जैसा सोचेंगे वैसे हो जायेंगे" भाग दो

Dashrath Manjhi

एक कहानी माउंटेन  मेन की  जी हा दोस्तों हम आज बताने जा रहे माउंटेन मैन की कहानी . उन्होंने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर, अकेले ही 360 फीट लंबी 30 फीट चौड़ी और 25 फीट  ऊँचे पहाड़ को काट के 22 वर्षो में एक सड़क बना डाली। और 55 KM की दूरी को मात्र 15 KM ही कर दिया हम बात कर रहे हैं दशरथ मांझी   की  14 जनवरी1929  में बिहार के गया डिस्ट्रिक्ट में एक छोटे से गांव गहलौर में  उनका जन्म  हुआ उन्होने  सात साल तक धनबाद में एक कोयला खदान में काम भी किया,  उनका कम उम्र में ही विवाह हो गया था,  उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी जी को रोज 3 KM  पहाड़ पार चढ़ कर पानी लाना पड़ता था और एक बार वे पानी लाते  वक़्त पहाड़ से गिर गई और उन्हें प्रॉपर मेडिकल केयर न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो गई | और उनकी मृत्यु के बाद दशरथ जी ने ठान  लिया की में इस पहाड़ को झुका के ही रहूँगा और किसी व्यक्ति के साथ ऐसा न हो इसलिए उन्होंने अकेले ही छेनी और हतोड़ि से पहाड़ की कटाई शुरू कर दी|   करीबन 22 वर्षों (1960-1982) के परिश्रम के बाद दशरथ जी की बनाई सड़क ने  वजीरगंज ब्लॉक की दुरी को 55 KM से 15 KM कर दिया आज इस सड़क का उपयोग कई गांव

में आपके साथ खड़ा हु

जो भी यह मैसेज पड़ रहे हैं, यदि किसी भी मुश्किल में  हो तो आप कभी भी मुझसे संपर्क कर सकते हैं  में कुछ दे पाऊ या न दे पाऊ पर  आपके साथ हमेशा खड़ा हु  बात करेंगे,  मन हल्का करेंगे, हर समस्या को हल करेंगे आपका  संदीप निगम  IMAGINATION selflearntech@gmail.com 

सामाजिक पहल

जय चित्रांश  हम सभी अपने स्वयं  के विकास के लिए कुछ नया करते रहते हैं, हम जानते हैं की जब स्वयं का विकास होगा तो उससे हमारे परिवार का विकास और परिवार के विकास से समाज का विकास होगा,  समाज का विकास करना हमारा कर्त्तव्य हैं , सबके मन में यह विचार होता ही हैं , किन्तु आर्थिक स्तिथि या अन्य बहुत प्रकार के कार्यो में सलग्न होने के कारण हम अपने समाज पर ध्यान नहीं दे पाते और एक जुट नहीं हो पाते। यहाँ एक जुट से मतलब यह बिलकुल नहीं की हमें कोई नेतागिरी करना हैं, सभी को एक स्थान पर एकत्रित होना हैं, हमें बार बार हो रही समाज की मीटिंग में शामिल होना हैं, या हमें चंदा देना हैं ,   मेरे विचार इस सब धारणाओं से बिलकुल अलग हैं , मेरा मानना हैं की हम समाज का सहयोग घर बैठे कर सकते हैं और उसमे अलग से आपकी कोई धनराशि व्यय नहीं होगी और ना ही समय देना होगा, बस आपको अपने मन में निश्चय करना होगा की में कोई भी वस्तु खरीदू या कोई भी सर्विस की आवश्यकता हो तो सबसे पहले अपने समाज से व्यापार करू. यदि   समाज   में नहीं मिले तो बाजार में कही से भी ले लू।   यदि सिर्फ एक बात का ध्यान हम रख लेंगे तो

कायस्थ हब

कायस्थ हब एक कदम सामाजिक विकास की ओर  एप्प डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे एप्प की कार्यप्रणाली की समझने के लिए वीडियो देखे

युग, प्रलय और दिव्य वर्ष

हम हमेशा से ही सुनते आ रहे हैं की यह कलयुग चल रहा हैं, और सतयुग में, द्वापर में बहुत अच्छा होता था आदि आदि , आइये आज जानते हैं चारो युगो के बारे में  युग चार प्रकार के होते हैं जो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग।   1. सतयुग  सनातन की पूर्ण स्तिथि होती हैं।  चारो दिशा में धर्म ही धर्म होता हैं. पिता के सामने पुत्र नहीं मरते। निंदा नहीं होती। भगवान श्री नारायण शुक्ल वर्ण के होते हैं. एक ही वेद की मान्यता होती हैं. जब आत्मतत्व की प्राप्ति कराने वाला धर्म हो तब सतयुग ही समझना चाहिए।  2. त्रेतायुग यज्ञ की प्रवत्ति होती हैं।  धर्म का एक पैर नष्ट हो जाता हैं, यदि अब तीन पाद ही होते हैं।  भगवान श्री नारायण रक्त वर्ण के होते हैं.  लोग अपने धर्म से नहीं डिगते। 3 . द्वापरयुग  वेद के चार भाग हो जाते हैं. धर्म के केवल दो पाद ही रहते हैं. भगवान श्री नारायण पित वर्ण के होते हैं.  अधर्म के कारण प्रजा क्षीण होने लगती हैं.  4. कलयुग भगवान श्री नारायण श्याम वर्ण के होते हैं.  धर्म का केवल एक पाद रहता है.  ब्रह्मा जी के एक दिन का गणित ( 1000  चतुर्युगी)   सतयुग (4800)            4000 दिव्य वर्षो का स